Tribanadhari Barbarik Movie Review – मिथकीय आस्था लगी क्राइम थ्रिलर
जब Mythology मिलता है Crime Thriller से: Tribanadhari Barbarik एक महत्वाकांक्षी Telugu थ्रिलर है, जिसका डायरेक्शन किया है Mohan Srivatsa ने। इस फिल्म का मूल निष्कर्ष भारतीय महाभारत की गूढ़ मिथकीय कथाओं को आधुनिक crime thriller narrative से जोड़ना है। लेकिन क्या ये असाधारण ट्रीटमेंट कहानी को मज़बूत बनाता है, या बनावट में खो जाता है — यह है इस रिव्यू का विषय।
कहानी की रूपरेखा (Plot Overview)
फिल्म की कहानी शुरु होती है Doctor Shyam Katu (Sathyaraj) से, जो अपनी पोती Nidhi के अपहरण से विचलित होकर एक सशक्त vigilante में तब्दील हो जाता है। एक पुलिस कांसटेबल (Satyam Rajesh) की सहायता से वह खुद जांच में जुट जाता है।
दूसरी ओर, दो युवा—Ram (Vasishta N. Simha) और Dev (Kranthi Kiran)—जो जल्दी पैसा कमाने के लालच में अपराध की ओर उतरते हैं, उनका मार्ग भी साथ-साथ चलता है। दोनों टैक्स चलती कहानी अंत में एक दूसरे से मिलने को बाध्य होती है।
Mythological Symbolism और Narrative का तालमेल
“Barbarik” नाम महाभारत के एक शक्तिशाली योद्धा पर आधारित प्रतीक है। इस मिथकीय थ्रेड को फिल्म कहानी में उजागर करना मूल रूप से एक ज़बरदस्त आइडिया है, लेकिन क्रूर सतह के बजाए इसका भाषा में निरपेक्ष व्याख्यात्मक रूप व्यर्थ हो जाता है। यह सबटेक्स्ट में रहना चाहिए था, न कि जोर-ज़बरदस्ती स्क्रीन पर सोच-समझकर जीना।
प्रदर्शन और अभिनय (Performances)
- Sathyaraj ने अपनी उपस्थिति और अनुभव पूर्ण अभिनय के साथ डॉक्टर श्याम की भूमिका में गरिमा जोड़ दी, लेकिन भावनात्मक गहराई अपेक्षित स्तर पर नहीं पहुंची।
- Vasishta N. Simha ने राम की भूमिका में संघर्ष और आंतरिक द्वंद्व को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया।
- Udaya Bhanu, एक महिला डॉन के रूप में वापसी में प्रभावशाली दिखीं, पर उनकी भूमिका अधूरीड़ लगती है।
- Satyam Rajesh का कॉप किरदार औसत ही रहा।
तकनीकी पहलू (Technical Aspects)
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Cinematography (Kushendar R. Reddy): रात और बारिश के दृश्य विशेष रूप से प्रभावशाली हैं।
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Background Score (Infusion Band): संगीत ने फिल्म को थ्रिल और प्रतीकात्मकता के स्तर पर बनाए रखा।
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Editing और Screenplay: कुछ हिस्से धीमे थे, दूसरे भाग में pacing काफ़ी खिंचावपूर्ण।
Story Review – Pros & Cons
Pros
- Mythological तत्वों का मौलिक प्रयोग
- दो parallel स्टोरीलाइन में suspense बना रहना
- Sathyaraj और Vasishta की एक्टिंग प्रभावशाली
Cons
- कहानी में सामरिक व्याख्या बना नहीं
- भावनात्मक मिटने से connection ठहरावपूर्ण
- Pacing में समानता नहीं बनी, कुछ खुशकिस्मत फटाफट हैं
- Narration औपन व्यक्त पूरे नहीं हुए
समीक्षाएं (Critics Take)
- Cinema Express ने इसे “hollow thriller with loud mythological symbolism” बताकर 1.5/5 रेट किया।
- OTTplay ने फिल्म की “strong drama and engaging moments” को सराहा, रेटिंग 3/5 रखी।
- Sakshi Post ने Mythology के जुड़ाव, दो parallel सीक्वेंस, और climax के संदेश की प्रशंसा की, पर screenplay की धीमी गति पर सवाल उठाया।
- Cinejosh ने फिल्म को “good concept but weak narration” बताते हुए 2.5/5 रेटिंग दी।
दर्शकों की प्रतिक्रिया और प्रमोशन
फिल्म के premieres को Warangal और Vijayawada में व्यापक सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली, जहां दर्शकों ने भावनात्मक शैली की सराहना की। निर्माता ने दर्शकों को affordable ticketing (₹150) के जरिए आगे आने के लिए प्रोत्साहित किया।
फाइनल वर्ड – Verdict
Tribanadhari Barbarik एक दिलचस्प myth-infused crime thriller है, जिसमें कुछ प्रभावशाली एक्टिंग और तकनीकी गुण हैं, लेकिन मुख्य दोष इसके धीमे pacing और ओवर-द-टॉप symbol usage हैं।
अगर आप एक साधारण थ्रिलर से अलग कुछ नया देखना चाहते हैं — myth और social drama का आधिकारिक मिश्रण — तो यह एक बार जरूर देखें।