🌧️ उत्तरकाशी: धराली गाँव में बादल फटना और फ्लैश फ्लड — जानें घटना, राहत और भविष्य की चुनौतियाँ
🗓️ दिनांक: 5–6 अगस्त 2025
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उत्तरकाशी: धराली गाँव में बादल फटना और फ्लैश फ्लड — जानें घटना, राहत और भविष्य की चुनौतियाँ |
5 अगस्त 2025 की दोपहर के करीब उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में अचानक एक भयंकर बादल फटना (cloudburst) हुआ। इसके परिणामस्वरूप तेजी से पानी और मलबे की लहर नदी में आई जिसने कुछ ही सेकंड में पूरे गाँव को तहस-नहस कर दिया—जबकि इससे पहले यह क्षेत्र अपेक्षाकृत शांतिपूर्ण था।
घटना इतनी तीव्र थी कि वीडियो में घर जैसे कार्डबोर्ड के टुकड़े उड़ते हुए दिखे। यह तबाही लगभग 20–30 सेकंड में हो गई।
नुकसान और जनहानि:
स्थिर अनुमान के अनुसार 4–5 लोगों की मौत हुई हैं, जिसमें अब तक पीड़ितों की संख्या और बढ़ सकती है। कई स्रोतों में मृतकों की संख्या 5 से 17 तक बताई गई है।
50 से अधिक लोग अभी भी लापता हैं, जिनमें कुछ सैनिक भी शामिल बताया जा रहे हैं।
20–25 होटल, होमस्टे, दुकानें और मकान पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए हैं।
गाँव और आसपास के क्षेत्रों में संपर्क कट गया है, सड़कें बंद और संचार व्यवस्था लगभग ठप है।
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उत्तरकाशी: धराली गाँव में बादल फटना और फ्लैश फ्लड — जानें घटना, राहत और भविष्य की चुनौतियाँ |
राहत और बचाव कार्य:
भारतीय सेना की Ibex ब्रिगेड, NDRF, SDRF, ITBP, BRO और स्थानीय पुलिस ने मिलकर राहत व बचाव अभियान शुरू किया।
200+ जवान साइट पर कार्यरत हैं और चिनूक व MI‑17 हेलीकॉप्टर द्वारा सामग्री और घायलों का हवाई निकासी अभियान जारी है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रभावित क्षेत्र की हवाई एवं भौतिक जानकारी ली और तत्काल सहायता का वादा किया।
राहत शिविर, अस्थायी पुल, यहाँ तक कि हेलीकॉप्टर-आधारित मेडिकल टीम भी भेजी जा चुकी है।
भू‑तकनीकी विश्लेषण और कारण:
ऐसी आपदा क्यों होती है?
धराली गाँव Kheer Gad नदी के कैचमेंट एरिया में स्थित है, जहाँ अक्सर अचानक भारी बारिश से दानव रूपी बादल फटना और मडस्लाइड हो जाता है।
ऊँचे हिमालयी प्रदेशों की भू‑प्राकृतिक बनावट—नुकीले पर्वत, संकीर्ण घाटियाँ, ग्लेशियर की बिंदु—ऐसी घटनाओं की जोखिम को बढ़ाते हैं।
जलवायु परिवर्तन एवं ग्लेशियरों का तेजी से पिघलना, ग्लेशियल झीलों की अचानक टूटने (GLOF) जैसी घटनाएँ बढ़ने से क्षेत्र अत्यधिक संवेदनशील बनता जा रहा है।
Uttarakhand में पिछले दशकों में कई बड़े हादसे सामने आए हैं, जैसे कि 1991 का Uttarkashi भूकंप, 2013 का केदारनाथ फ्लैश फ्लड, और 2019‑2023 की अनियमित मानसून घटनाएँ।
पुराना इतिहास और तात्कालिक चुनौतियां:
धराली क्षेत्र में पहले भी कई बार हल्के हादसे आ चुके हैं, लेकिन मई 2025 तक 2010–2018 के बीच कोई जान-माल की बड़ी क्षति नहीं हुई। यह इस इलाके का वैश्विक स्तर पर “क्वॉरेंटाइन” बना था—लेकिन अब नहीं रहा।
उच्च भूकंपीय गतिविधि वाले क्षेत्र में यह घटना चेतावनी है कि आपदाएँ अब भूतपूर्व मानकों से अधिक तीव्र और घातक हैं।
निष्कर्ष और आगे की पहल:
यह घटना सिर्फ एक प्राकृतिक आपदा नहीं है—यह एक सामाजिक, पर्यावरणीय और प्रशासनिक अपील भी है कि विकास को संतुलित और पर्यावरण‑अनुकूल बनाना जरूरी है।
बेहतर आपदा पूर्व चेतावनी प्रणाली, जल संवहन व नदी प्रबंधन, और स्थानीय स्तर पर जागरूकता से भविष्य में होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है।
सरकार द्वारा जारी किए गए हेल्पलाइन नंबर, स्थानीय प्रशासन की तत्परता और राज्य‑केंद्र की साझेदारी इस आपदा में राहत कार्य को सक्षम बना रही है।