दुनिया की नज़रें 16 अगस्त 2025 की ऐतिहासिक मुलाक़ात पर टिकी हैं, जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन आमने-सामने बैठकर दुनिया की सबसे बड़ी भू-राजनीतिक चुनौतियों पर चर्चा करेंगे। यह मुलाक़ात अलास्का के Joint Base Elmendorf–Richardson में होगी और भारत में इसका समय 16 अगस्त 2025, रात 12:00 बजे (IST) होगा।
भारत में मीटिंग का समय (IST)
- अलास्का टाइम (AKST): सुबह 11:30 बजे
- भारतीय समय (IST): रात 12:00 बजे, 16 अगस्त 2025
इसका मतलब है कि भारत में यह बैठक 15 अगस्त की देर रात शुरू होकर 16 अगस्त की शुरुआत में चलेगी।
मीटिंग का एजेंडा
इस हाई-प्रोफाइल मीटिंग का मुख्य फोकस रूस–यूक्रेन युद्ध और संभावित शांति वार्ता रहेगा।
- एक-एक बैठक (One-on-One Meeting): ट्रम्प और पुतिन अकेले में शुरुआती बातचीत करेंगे।
- विस्तारित चर्चा (Extended Talks): दोनों देशों की डेलीगेशन टीम के साथ बैठक।
- प्रेस कॉन्फ्रेंस: दुनिया के सामने मीटिंग का सारांश पेश किया जाएगा।
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Trump–Putin Meeting |
भारत के लिए मीटिंग के मायने
1. व्यापार और टैरिफ पर असर
अमेरिका ने रूस से कच्चा तेल आयात के कारण भारत पर 25% टैरिफ लगाया है, जिसे 50% तक बढ़ाने की चर्चा है। अगर ऐसा हुआ तो भारतीय निर्यातकों को बड़ा झटका लग सकता है।
2.ऊर्जा सुरक्षा
रूस भारत का प्रमुख कच्चा तेल सप्लायर है। अगर इस मीटिंग से रूस–अमेरिका तनाव कम होता है, तो भारत को सस्ते दामों पर ऊर्जा खरीदने में सहूलियत हो सकती है।
3.रक्षा साझेदारी
भारत, अमेरिका और रूस तीनों के साथ रक्षा संबंध रखता है। यह बैठक भारत के लिए रणनीतिक संतुलन बनाए रखने का मौका है, जिससे S-400 मिसाइल डील और अमेरिका के साथ संयुक्त युद्ध अभ्यास जैसे प्रोजेक्ट्स पर असर पड़ सकता है।
4.रुपये पर असर
इस बैठक से पहले रुपये में थोड़ी गिरावट आई है। अगर टैरिफ और तेल कीमतों पर सकारात्मक नतीजे निकलते हैं, तो रुपये को मजबूती मिल सकती है।
ग्लोबल लेवल पर असर
- शांति समझौते की संभावना: अगर रूस और अमेरिका किसी समझौते पर पहुंचते हैं, तो यूक्रेन में युद्ध की आग ठंडी हो सकती है।
- नए गठजोड़: इस मीटिंग से नए राजनीतिक और आर्थिक गठबंधन बन सकते हैं, जिसका असर पूरे एशिया और यूरोप पर पड़ेगा।
निष्कर्ष
Trump–Putin मीटिंग सिर्फ दो देशों की बातचीत नहीं, बल्कि एक वैश्विक राजनीतिक मोड़ है। भारत के लिए यह बैठक आर्थिक, रणनीतिक और ऊर्जा सुरक्षा के लिहाज़ से अहम है। 15 अगस्त की देर रात से शुरू होने वाली यह मीटिंग आने वाले महीनों की अंतरराष्ट्रीय राजनीति को नई दिशा दे सकती है।